एक जून को खुलेगी फूलों की घाटी , लेकिन पर्यटक सरकार की अनुमति के बाद ही जा सकेंगे

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध धरोहर फूलों की घाटी को एक जून से खोल दिया जाएगा । वैसे हर साल एक जून को ही फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोली जाती थी ,लेकिन कोरोना महामारी की आपदा के कारण संशय की स्थिति बनी हुई थी। फूलों की घाटी खुलने के बाद भी पर्यटकों के आने पर रोक ही रहेगी जब तक सरकार की तरफ से कोई निर्देश न आए। जुलाई से अगस्त महीने में फूलों की घाटी की सुंदरता चरम पर होती है। पहाड़ों झरनों की प्राकृतिक खूबसूरती के बीज इस समय 500 से अधिक प्रजाति के रंग बिरंगे मनमोहक पुष्प खिल जाते हैं।
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आने वाली फूलों की घाटी में उगने वाले फूलों में औषधीय गुण भी होते हैं ,,जिससे दवाएँ भी बनती है। विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों व प्राकृतिक खूबसरती से लबरेज यह फूलों की घाटी पूरी दुनिया के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। 87.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली इस घाटी की खोज सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने वर्ष 1931 में लगाया था। वह अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे।यहां की बेइंतहां खूबसूरती से स्मिथ इतने प्रभावित हुए थे कि 1937 में दोबारा फूूलों की घाटी में आए। 1938 में फ्रेंक एस स्मिथ ने ‘वैली ऑफ फ्लॉवर्स’ नाम से एक किताब भी प्रकाशित करवाई। कहा जााता है कि यही वो जगह है जिसका वर्णन रामायण और महाभारत” में नन्दकानन के नाम से मिलता है। रामायण काल मे हनुमान जी यहीं के पर्वतों से संजीवनी लेकर गए थे। फूलों की घाटी को औपचारिक रूप से 1 जून को खोल दिया जाएगा लेकिन सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही पर्यटक यहाँ आ सकेंगे।
नवीन भंडारी